दो दिन से दुनिया ईरान इजरायल पर मिसाइलें दाग रहा है, इजरायल आसमान में ही मिसाइलें नाकाम करने का दावा कर रहा है. लेकिन इसकी तपिश दुनिया भर में महसूस की जा रही है. कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के साथ पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. इसकी बड़ी वजह ईरान का तेल और उसके आस पास से होने वाला माल परिवहन है.
दो दिन में कच्चे तेल की कीमत बढ़ीं
वैसे भी दो दिनों में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखा गया है. पहली अक्टूबर को कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 71 डालर थी. यही अगले दिन बढ़ कर 74 डालर हो गई. यानी एक दिन में तीन डालर की बढ़त. यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि अभी तक इजरायल ने सिर्फ तेल ठिकानों पर हमले की बाते कहीं हैं हमले किए नहीं है.
और हमले हुए तो…
अगर तेल ठिकानों पर हमले हुए तो कीमते खुद ब खुद काबू से बाहर हो जाएंगी. अलग अलग आंकड़ों के मुताबिक ईरान के पास दुनिया के कुल तेल भंडार का 5 से 10 फीसदी है. इस साल के पहले तिमाही में ईरान ने दुनिया को 35.4 अरब डॉलर का तेल बेचा है. इससे भी ईरान के पास तेल भंडार का अनुमान लगाया जा सकता है. यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि ईरान पर तमाम प्रतिबंध लगे हुए हैं. दुनिया के तमाम बड़े मुल्क तेल के टैंकरों पर अलग अलग और आधुनिक तरीकों से नजर रखते हैं. यानी ईरान को अगर खुली छूट होती तो निश्चित तौर पर उसने और अधिक तेल बेचा होता. यानी उसके पास बहुत बड़ा तेल भंडार है.
धमकी दे चुका है इजरायल
इजरायल ने खुल कर धमकी दी है कि वो अब ईराक की रीढ़ पर हमला करेगा. इसका मतलब वो उसके तेल उत्पादक इकाइयों को तबाह करने की फिराक में है. अगर ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर दुनिया के तामम हिस्सों में तेल संकट पैदा हो सकता है. अब तक तो यही देखा गया है कि किसी तेल उत्पादक देश पर संकट आने के साथ ही तेल की कीमते दुनिया के बाजार में बढ़ जाती हैं. ईरान- इराक युद्ध के बाद कुछ ही समय के भीतर तेल की कीमतें जिस तरह आसमान छूने लगी थी वो किसी को भूला नहीं है. इस दफा तो एक और संकट है. तेल का बड़ा उत्पादक रुस भी है. भारत ने दुनिया की परवाह न करके रूस से तेल खरीदना शुरु कर दिया. भारत की कोशिशों का कमाल कहा जाय या फिर हालात का असर रूस अच्ची कीमत पर भारत को तेल दे रहा है. अब अगर इजरायल और ईरान के बीच युद्ध भड़कता है तो वहां से भी तेल ले आना आसान नहीं होगा.
रूस से भी भारत तेल ले आते वक्त ईरान के बहुत पास से गुजरना होता है. भारत व्यापारिक साझेदारी बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना में जुड़ा हुआ है. ये एक बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसके जरिए बहुत से देशों को दुनिया के दो हिस्सों में माल ले जाने ले आने में सुविधा होनी है. युद्ध होने की स्थिति में ये परियोजना ही कम से कम अमन कायम होने तक लटक जाएगी. इसी के पास से होकर तेल के टैंकर भारत तक पहुंचते हैं. जाहिर हैं अशांति की स्थिति में भारत अपनी पूंजी और साख दोनों दाव पर नहीं लगा सकेगा. इस हालत में देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू सकती हैं.
भारत सरकार के पास राह
हां, अगर थोड़े वक्त में अमन कायम हो जाएगा तो हो सकता है कि भारत सरकार आम आदमी पर तेल की बढ़ी कीमतों का असर कम से कम जाने दे. हालांकि इसके लिए जिस तरह का नुकसान केंद्र सरकार को उठाना पड़ेगा, वो आसान नहीं है. अभी सरकार तेल पर बहुत अधिक एक्साइज और टैक्स लगा रही है. बढ़ती कीमतों से आम आदमी को बचाने के लिए सरकार को वो टैक्स कम करने पड़ सकते हैं. जिसका सीधा असर सरकार के खजाने पर पड़ेगा. और लंबे वक्त तक उसका असर रहेगा.
हालांकि ये भी एक तथ्य है कि आज के इस दौर में दुनिया भर के तमाम देश चाहते हैं कि युद्ध न हो और अमन कायम रहे. इससे अलग अलग मुल्कों के साथ ईरान का जो व्यापार होता है वो चलता रहे. लेकिन अमरिका के तेवर इस पूरे मामले में बहुत अच्छे नहीं लग रहे. अमरिका बार बार इस पूरे मामले में कुछ न कुछ बोल कर दखल दे रहा है. इस चौधराहट से इसकी संभवना कम ही लग रही है कि दोनों देशों के बीच सीधे युद्ध को टाला जा सकता है.
Tags: Benjamin netanyahu, Israel, Petrol diesel price
FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 18:20 IST