भोपाल: मध्य प्रदेश में भील समुदाय के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं, पर इस जनजातीय समुदाय के हालात अब भी बहुत बेहतर नहीं हुए हैं. हालांकि, भील समुदाय के एक कलाकार पर ईश्वर की विशेष कृपा है. झाबुआ के एक छोटे से गांव से अपनी हस्तकला के दम पर देश-दुनिया में पहचान बनाने वाली आदिवासी चित्रकार सुनीता भावोर के जीवन में संघर्ष तो रहा, पर अब उसका उन्हें जोरदार फल मिल रहा है. इतना ही नहीं, अब भोपाल इनका दूसरा घर बन गया है. वो यहीं से ही कला का प्रचार करती हैं.
सुनीता भावोर ने लोकल 18 को बताया कि 7 साल पहले वह झाबुआ के एक छोटे से गांव में खेती-किसानी कर जीवन काट रही थी पर फिर अचानक उन्होंने अपनी कला के दम पर देश-दुनिया में भील समुदाय की अनोखी कला को फैलाया. आर्ट को दुनिया तक पहुंचाने वाली सुनीता भावोर के काम में उनके चित्रकार पति भी हाथ बटाते हैं. उनसे पूछने पर कि बीवी इतना नाम कमा रही कैसा लगता है? कहते हैं कि कभी उम्मीद नहीं थी हम दोनों यहां तक आ पहुंचेंगे.
मुश्किलों के बावजूद नहीं मानी हार
सुनीता भावोर के सामने भी तमाम मुश्किलें आईं. उन्होंने हार नहीं मानी. कहती हैं, मुझे एक छोटी सी पेंटिंग बनाने में 4 घंटे लग जाते हैं और सब कुछ हाथों से ही बनाती हूं. वहीं बड़ी पेंटिंग बनाने में तो हफ़्तों का समय बीत जाता है. इसलिए तो कहा जाता है कि, हार न मानने और मुश्किलों से लड़ने का नाम ही जिंदगी है. हालांकि तमाम मुश्किलों के बाद अब मेरी पेंटिंग की अच्छी कीमत मिल रही है. 40 हजार तक में पेंटिंग बिकी है.
FIRST PUBLISHED : September 28, 2024, 18:33 IST