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न सिम न कोई टावर, फिर कैसे पेजर भेज देता है मैसेज, स्मार्टफोन के जमाने में क्यों होता है इसका इस्तेमाल


नई दिल्ली. लेबनान में 1000 पेजर फटने से तहलका मच गया है. इस घटना में करीब 3000 लोग घायल हो गए. खबरों के अनुसार, आतंकवादी संगठन हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के पास थे. पेजर का इस्तेमाल आज दुनिया में बहुत कम होता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हिज्बुल्लाह इसका इस्तेमाल क्यों कर रहा था और पेजर आखिर काम करता कैसे है. साथ ही यह स्मार्ट फोन से अलग कैसे होता है.

इन कुछ सवालों के जवाब हम एक-एक करके जानने का प्रयास करेंगे. आइए पहले जानते हैं कि पेजर क्या होता है?

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क्या होता है और कैसे काम करता है पेजर?
पेजर एक छोटा टेलीकम्युनिकेशन डिवाइस होता है जो पेजिंग नेटवर्क से रेडियो सिग्नल रिसीव करता है. पेजर में लगे ट्रांसमिटर्स एक खास फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल ब्रॉडकास्ट करते हैं. इन ट्रांसमिटर्स की रेंज में जो दूसरे पेजर्स होते हैं वह सेम फ्रीक्वेंसी पर यह मैसेज प्राप्त करते हैं. पेजर द्वारा भेजा मैसेज एक सिग्नल में एन्कोड होकर जाता है. केवल न्यूमेरिक वाले पेजर्स के सिग्नल आमतौर पर बीप्स की एक सीरीज या फिर न्यूमेरिक कोड होते हैं. जबकि अल्फान्यूमेरिक पेजर्स के सिग्नल अधिक जटिल होते हैं.

एन्कोड किए गए सिग्नल को फिर सेंट्रल ट्रांसमीटर के जरिए पेजिंग नेटवर्क को भेजा जाता है. यही सिग्नल रेडियो फ्रीक्वेंसी से ब्रॉडकास्ट होते हैं. दूसरा पेजर अपना एंटीना के माध्यम से यह सिग्नल प्राप्त करता है. यह एक खास फ्रीक्वेंसी पर ही सेट होते हैं जो पेजिंग नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा होता है.

अगला चरण रिसीवर पेजर के पास डिकोडिंग का होता है. रिसीव करने वाला पेजर सिग्नल को डिकोड करता है. डिकोड का मतलब है जो संदेश टोन्स या कोड्स के रूप में आया है उसे नंबर में बदलना या फिर अल्फान्यूमेरिक वाले पेजर्स में इन कोड्स को टेक्स्ट में बदला जाता है जिसे रिसीवर पढ़ सकता है. एडवांस पेजर्स में रिसीवर रिप्लाई भी कर सकता है. गौरतलब है कि पेजिंग नेटवर्क्स किसी सेल्यूलर नेटवर्क से ज्यादा बेहतर होते हैं क्योंकि ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर सदेंश ट्रांसमिट करते हैं.

स्मार्टफोन से कैसे अलग
पेजर जहां रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं वहीं स्मार्टफोन सेल्युलर नेटवर्क्स पर निर्भर होते हैं. पेजर का इस्तेमाल बहुत सीमित होता है. यह किसी को संदेश भेजने या अलर्ट करने के लिए यूज किया जाता है. इसमें कॉल या फिर मल्टीटास्किंग की सुविधा नहीं होती. कई पेजर्स में तो रिप्लाई का ऑप्शन भी नहीं होता है. वहीं, स्मार्टफोन ये कॉल, मैसेज, इंटरनेट, वीडियो स्ट्रीमिंग व कई अन्य तरह के काम कर सकता है. पेजर का स्टोरेज स्मार्टफोन के मुकाबले बहुत कम होता है.

हिज्बुल्लाह क्यों करता है इनका इस्तेमाल
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पेजर ज्यादा सुरक्षित होते हैं. ये बहुत हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करते हैं इसलिए ये संदेश पहुंचाने या रिसीव करने में काफी भरोसेमंद साबित होते हैं. इनका इस्तेमाल मुख्यत: क्लोज्ड जगहों के लिए किया जाता है जहां फोन आदि पर निर्भरता काम में देरी करा सकती है. मसलन, अस्पताल, सिक्योरिटीड कंपनीज और आपातकालीन सेवाओं का स्थान. यह सस्ते होते हैं और इसे ऑपरेट करने के लिए आपको कोई सिम वगैरह की जरूरत नहीं होती. इस पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है. ऐसा भी माना जाता है कि इन्हें हैक करना तुलनात्मक रूप से काफी मुश्किल है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में इसका खंडन किया जा चुका है.

Tags: New Iphone, Tech news



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