नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन घरेलू विनिर्माण एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी अधिक प्रयास करने की जरूरत है. राजन ने समाचार एजेंसी पीटीआई साथ इंटरव्यू में कहा कि सरकार का वस्तु एवं सेवा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना अच्छी बात है लेकिन इस काम को सही ढंग से अंजाम देना भी महत्वपूर्ण है.
उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल ‘मेक इन इंडिया’ पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि इरादा अच्छा है. मुझे लगता है कि बुनियादी संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) जैसे कुछ क्षेत्रों में हमने बहुत कुछ किया है जो उपयोगी रहा है. लेकिन हमें अन्य क्षेत्रों के बारे में भी जांच करनी होगी.’’ उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में जरूरी कदमों के बारे में आलोचकों से जानकारी जुटानी चाहिए और उसके हिसाब से काम करना चाहिए. उन्होंने कारोबारी सुगमता को बेहतर करने की भी वकालत की.
सरकार को सलाह
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने इसे एक पैकेज बताते हुए कहा कि यह आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देता है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उसपर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मुझे लगता है कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा मजबूत होगी.’’ इस समय अमेरिका स्थित शिकॉगो बूथ में वित्त के प्रोफेसर राजन ने कहा कि सरकार को कारोबारियों से उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में पूछना चाहिए, सिर्फ विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता से जुड़े बिंदुओं पर ही नहीं चलना चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया दिया कि सरकार को अपनी नीति की आलोचना को यह कहकर खारिज नहीं करना चाहिए कि इसमें किसी का स्वार्थ या कोई छुपा हुआ एजेंडा है. उन्होंने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सबसे जरूरी सुधार के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सबसे अधिक जरूरत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की है.
भारत बनेगा तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था?
भारत को इस दशक में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के पर्याप्त होने के बारे में पूछे गए सवाल पर राजन ने कहा, ‘‘यदि हम सात प्रतिशत की दर से बढ़ते हैं, तो हम दो-तीन वर्षों में जर्मनी और जापान से आगे निकल जाएंगे. यह कोई ऐसी चीज नहीं है जो संभावना के दायरे से बाहर हो.’’ इसके साथ ही राजन ने कहा, ‘‘हालांकि सबसे ज़्यादा चिंता की बात यह है कि जब हम विकसित राष्ट्र कहते हैं तो विकसित होने का मतलब क्या है? यह भी एक बदलता हुआ पैमाना है. इसके अलावा हम 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए उच्च वृद्धि कहां से उत्पन्न करेंगे.’’
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 19:25 IST