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बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्तान आमने-सामने, वैश्विक बाजार में मुकाबला, कौन जीत रहा?


नई दिल्ली. हाल ही में भारत और पाकिस्तान द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से वैश्विक चावल कीमतों में तेजी से गिरावट आई है. भारत ने अपने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है, जबकि पाकिस्तान ने चावल निर्यात पर न्यूनतम कीमत (MEP) को समाप्त कर दिया है. इन कदमों से दोनों देशों के चावल निर्यातक अपने-अपने बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की तैयारी में हैं, जिसका असर वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है.

अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के ये निर्णय वैश्विक चावल व्यापार के लिए अहम साबित हो रहे हैं क्योंकि ये दोनों देश बासमती चावल के प्रमुख निर्यातक हैं. बासमती चावल, अपनी अनोखी खुशबू और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, और इसका वैश्विक बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.

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भारत की चावल निर्यात पर वापसी
भारत ने 2023 में घरेलू खाद्य कीमतों और संभावित उत्पादन कमी की आशंकाओं के चलते गैर-बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन 2024 में बढ़ी हुई फसल पैदावार के चलते भारतीय सरकार ने यह प्रतिबंध हटा लिया. इस कदम से भारत के चावल निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिर से प्रतिस्पर्धा में वापसी का मौका मिला है. भारत के इस निर्णय का सीधा असर पाकिस्तान पर पड़ा, जो पिछले साल से भारत की अनुपस्थिति में चावल निर्यात के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया था. भारत की चावल की वापसी के साथ, पाकिस्तान ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया और चावल निर्यात पर लगाए गए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को हटा दिया.

पाकिस्तान ने 2023 में बासमती चावल के लिए $1,300 प्रति टन और गैर-बासमती चावल के लिए $550 प्रति टन की न्यूनतम कीमत तय की थी. लेकिन भारतीय निर्यात प्रतिबंध हटने के बाद, पाकिस्तानी चावल निर्यातकों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए सरकार से MEP हटाने की मांग की. पाकिस्तान के व्यापार मंत्री जाम कमाल खान के अनुसार, “इस न्यूनतम मूल्य को बनाए रखने से हमारे चावल निर्यातकों की वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कम हो रही थी.” उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कदम से पाकिस्तान का चावल निर्यात बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.

हालांकि, पाकिस्तान के कई चावल किसान इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि यह उनके मुनाफे को कम कर सकता है. पिछले साल जब भारत का चावल वैश्विक बाजार से बाहर था, तब पाकिस्तान को ऊंची कीमतों का फायदा हुआ था. अब भारत की वापसी के साथ, पाकिस्तानी निर्यातकों के लिए चुनौती बढ़ गई है.

वैश्विक बाजार पर प्रभाव
भारत और पाकिस्तान दुनिया के प्रमुख चावल निर्यातक देश हैं. भारत जहां वैश्विक चावल व्यापार में 40% हिस्सेदारी रखता है, वहीं पाकिस्तान 35% बासमती चावल के निर्यात पर नियंत्रण रखता है. 2022-23 में भारत ने चावल निर्यात से 11 अरब डॉलर से अधिक की कमाई की, जबकि पाकिस्तान ने 3.9 अरब डॉलर अर्जित किए. भारत के प्रतिबंध के बाद, पाकिस्तान को गल्फ देशों, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे नए बाजारों में प्रवेश करने का अवसर मिला था. पिछले साल पाकिस्तान के चावल निर्यात में 60% की वृद्धि और मूल्य में 78% की बढ़ोतरी हुई थी. लेकिन अब, भारत के वापस आने से बाजार में प्रतिस्पर्धा और कड़ी हो जाएगी.

भविष्य की चुनौतियां और अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक चावल बाजार में प्रतिस्पर्धा अब और भी बढ़ेगी. पाकिस्तान के चावल निर्यातक अब भारतीय चावल के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा में होंगे, जिससे कीमतें और आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि, पाकिस्तान के चावल निर्यातकों का मानना है कि सरकार का यह निर्णय उन्हें इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे नए बाजारों में अपनी जगह बनाने में मदद करेगा.

Tags: Business news, India pakistan



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