नई दिल्ली. एडलवाइस म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने निवेशकों से आग्रह किया है कि वे पारंपरिक एक्टिव और पैसिव फंड्स की सीमाओं से आगे बढ़ें और हर फंड को उसकी गुणवत्ता के आधार पर जांचें. उन्होंने कहा कि लोगों को एक्टिव-पैसिव फंड्स से आगे बढ़ना होगा. उन्होंने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में यह बात लिखी.
उन्होंने लिखा, “मुझे यह कहने के लिए ट्रोल किया जाएगा, लेकिन हमें एक्टिव बनाम पेसिव की श्रेणी से आगे बढ़कर फंडों को व्यक्तिगत रूप से समझना शुरू करना चाहिए – चाहें वे अच्छे हो या बुरे. कई शानदार एक्टिव फंड्स हैं और खराब पैसिव फंड हैं. लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है. पैसिव फंड नए विकसित हो रहे हैं, इसलिए फंड के पीछे के इंडेक्स को देखने में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसमें निर्माण, कार्यप्रणाली, मूल्यांकन, वेटेज, मार्केट कैप एक्सपोजर देखना होगा. यह पिछले 1 या 3 साल के रिटर्न के आधार पर इंडेक्स फंड खरीदने जितना आसान नहीं है.”
उन्होंने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण पेश की, जिसे उन्होंने भारतीय ‘दाल-चावल थाली’ से जोड़ा. गुप्ता ने बताया कि जैसे ‘दाल चावल’ किसी संतुलित भोजन का आधार होता है, वैसे ही निवेश के पोर्टफोलियो में 80% हिस्सा स्थिर फंड्स में लगाया जाना चाहिए, और 20% हिस्से को थीमेटिक या जोखिमपूर्ण निवेशों के लिए रखा जा सकता है.
गुप्ता ने यह भी कहा कि आजकल कई युवा निवेशक और उच्च-नेट-वर्थ व्यक्ति (HNIs) ज्यादा जटिल और उच्च जोखिम वाले उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जैसे नई विदेशी डिशेज का स्वाद लेना. उन्होंने मजाक में कहा कि बहुत से लोग जब ‘सुशी’ जैसे विदेशी व्यंजनों का स्वाद लेते हैं, तो बाद में उन्हें ‘दाल-चावल’ की याद आती है.
इस 80-20 संतुलन का मतलब है कि 80% पोर्टफोलियो सुरक्षित और स्थिर फंड्स में रहे, और 20% हिस्सा ऐसे निवेशों में हो, जो उच्च रिटर्न दे सकते हैं. गुप्ता के अनुसार, यह रणनीति न केवल स्थिरता देती है बल्कि निवेशकों को कुछ हद तक जोखिम उठाने की भी स्वतंत्रता देती है. गौरतलब है कि राधिका गुप्ता का यह संतुलित दृष्टिकोण निवेशकों को स्थिरता और जोखिम के बीच एक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है.
Tags: Business news, Mutual fund
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 23:21 IST