नई दिल्ली. वेब सीरीज ‘स्कैम 1992- द हर्षद मेहता’ की लाइन ‘रिस्क है तो इश्क है’ इस पुरानी मान्यता की याद दिलाती है कि रिस्क और रिटर्न एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. आज की युवा पीढ़ी इसी को देखते हुए शेयर बााजार में खूब पैसा लगा रहे हैं. मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (F&O) ट्रेडिंग में पैसा लगाने वाले 93 फीसदी निवेशकों को घाटा हो रहा है जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में 71 फीसदी लोग पैसे गंवा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शेयर बाजार में ‘रिस्क है तो इश्क है’ का फॉर्मूला सही है?
टीओाई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल असम के एक CA रोशन अग्रवाल के पास एक अजीबोगरीब मामला आया. आनंद (बदला हुआ नाम) उम्र 18 साल और बीटेक का छात्र ऑनलाइन ट्रेडिंग में 20 लाख रुपये गंवा बैठा था. उसने पैरेंट को बताए बिना अपने दोस्तों से पैसे उधार लिए थे और कुछ सस्पिशियस ऐप्स से भी लोन लिया था. आनंद ने बताया कि उसके एक दोस्त ने ट्रेडिंग से एक साल में ही 1 करोड़ रुपये कमाने का दावा किया था. वह दोस्त की बातों में आकर ट्रेडिंग करने लगा और टेलीग्राम ग्रुप्स जॉइन कर लिए जहां उसे शेयर मार्केट के अंदरूनी टिप्स मिलते थे. अग्रवाल ने उसे समझाया कि पहले उसे कम पैसे से निवेश करना चाहिए, लेकिन एक साल बाद आनंद फिर से उनके पास आया लेकिन इस बार 26 लाख रुपये का नुकसान कराने के बाद. शो ‘स्कैम 1992’ की लाइन भले ही सुनने में अच्छा लगता हो, लेकिन असल जिंदगी में आनंद जैसे कई युवाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.
71 फीसदी इंट्राडे ट्रेडर्स को नुकसान
SEBI की हालिया स्टडी मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में जहां 15 लाख लोग इंट्राडे ट्रेडिंग करते थे, वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में ये संख्या बढ़कर 69 लाख हो गई है. इसमें भी 30 साल से कम उम्र के युवाओं की संख्या 18 फीसदी से बढ़कर 48 फीसदी हो गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में 71 फीसदी इंट्राडे ट्रेडर्स को नुकसान हुआ है. इंट्राडे ट्रेडिंग के अलावा फ्यूचर्स और ऑप्शन्स ट्रेडिंग में लोग पैसे गंवा रहे हैं. पिछले तीन सालों में 93 फीसदी रिटेल ट्रेडर्स को फ्यूचर्स और ऑप्शन्स ट्रेडिंग में नुकसान हुआ है, जिसमें हर व्यक्ति को औसतन 2 लाख रुपये का नुकसान हुआ है
F&O: कम पूंजी में लाखों कमाने का शॉर्ट कट तरीका बना सकता है कंगाल
फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जिसके जरिए निवेशक कम पूंजी में स्टॉक, कमोडिटी और करेंसी में बड़ी पोजिशन ले सकते हैं. चूंकि यह एक हाई रिवॉर्ड, हाई रिस्क ट्रेडिंग टूल है इसलिए इसमें पैसा तेजी से बनता है तो डूब भी जाता है.
जुए की लत जैसा ट्रेडिंग
वडोदरा के अल्फा हीलिंग सेंटर में मनोचिकित्सक डॉ. पार्थ सोनी ने कहा कि ट्रेडिंग से मिलने वाला ‘डोपामाइन हिट’ जुए की लत जैसा ही होता है. शुरुआत में जब लोगों को मुनाफा होता है तो उन्हें अच्छा लगता है. फिर धीरे-धीरे ये एक लत में बदल जाता है. उन्हें लगता है कि एक दिन वो अपना सारा लॉस कवर कर पाएंगे.
ट्रेडिंग की लत जैसी बीमारी का इलाज संभव
बेंगलुरु के ‘सर्विस फॉर हेल्दी यूजऑफ टेक्नोलॉजी’ क्लिनिक के कोऑर्डिनेटर डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि लोग अब समझने लगे हैं कि ट्रेडिंग की लत भी जुए या शराब की लत की तरह एक बीमारी है और इसका इलाज संभव है
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 18:37 IST