नई दिल्ली. भारत में गोल्ड लोन में तेज वृद्धि होने जा रही है. रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, संगठित गोल्ड लोन बाजार इस वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख करोड़ को पार कर जाएगा और मार्च 2027 तक ₹15 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से लिए जाने वाले खुदरा गोल्ड लोन में वित्त वर्ष 2025 में 17-19% की वृद्धि होने का अनुमान है.
वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 तक, संगठित गोल्ड लोन सेक्टर में 25% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखी गई है. बैंकों ने 26% CAGR के साथ इस वृद्धि में सर्वाधिक योगदान दिया है. जबकि NBFC में 18% की वृद्धि हुई है. गोल्ड ज्वेलरी को गिरवी रख कर लिए गए कृषि लोन ने 26% की वृद्धि दर के साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया.
गोल्ड लोन मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की लगभग 63% हिस्सा है, जो मार्च 2019 में 54% थी. वहीं, NBFC और निजी बैंकों की हिस्सेदारी में कमी आई है. ICRA के ए. एम. कार्तिक ने कहा कि अन्य लोन प्रोडक्ट्स में जिस तरह का रुझान देखने को मिला है उससे NBFC गोल्ड लोन को भी लाभ हुआ है. कार्तिक ने कहा, “वित्त वर्ष 2024 में गोल्ड लोन की वृद्धि फिर से शुरू हुई और वित्त वर्ष 2025 में भी जारी रहने की उम्मीद है.”
बाजार में केंद्रीकरण
NBFC गोल्ड लोन मार्केट बहुत कम लोगों के हाथ में है. इसमें मार्च 2024 तक शीर्ष 4 कंपनियों के पास बाजार का 83% हिस्सा है. गोल्ड लोन की क्रेडिट कॉस्ट काफी कम 0.5 फीसदी है. यह दिखाता है कि गोल्ड लोन मिलना कितना आसाना हो गया है. गोल्ड लोन इतना आसानी से मिलने का एक बड़ा कारण यह है कि गोल्ड का काफी लिक्विड नेचर का है जिसका मतलब है कि इसे आसानी से कैश में बदला जा सकता है.
ऑनलाइन की ओर जा रहे लैंडर्स
अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए लैंडर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रहे हैं. कार्तिक ने कहा, “स्वस्थ विकास, कम लोन कॉस्ट और बेहतर मूल्य तय करने की ताकत गोल्ड लोन कंपनियों का समर्थन करती है.” हालांकि, ऑपरेशनल एफीशिएंसी को बढ़ाने वाले बाजार नियामक के कदम अधिक लाभ कमाने के लिए जरूरी होंगे.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 21:04 IST