Real Estate Investment : एक आम धारणा है कि रियल एस्टेट में निवेश कभी नुकसान नहीं देता. कई लोग यह सोचते हैं कि अगर संपत्ति को लंबे समय तक होल्ड किया जाए, तो उसका मूल्य जरूर बढ़ेगा. लेकिन सच्चाई इससे अलग हो सकती है. कई बार हम पूरी तस्वीर को समझने में चूक कर देते हैं. हमें लगता है कि हम मुनाफा लेकर निकले, लेकिन हकीकत यह होती है कि हम लॉस लेकर निकलते हैं. कैसे? चलिए समझते हैं.
दरअसल, आम निवेशक अपॉर्चुनिटी कॉस्ट (Opportunity Cost) और टाइम वैल्यू ऑफ मनी (Time Value of Money) को कैलकुलेट ही नहीं करते. इसे नजरअंदाज करना ही नुकसान करवा देता है. ज्यादातर लोग अपने मुनाफे और नुकसान को उस कीमत के आधार पर मापते हैं, जिस पर उन्होंने प्रॉपर्टी खरीदी थी. अगर वे प्रॉपर्टी को खरीद मूल्य से कम में बेचते हैं, तो उसे नुकसान मानते हैं. और अगर वे अधिक में बेचते हैं, तो उसे मुनाफा समझते हैं. लेकिन इसमें एक अहम चीज छूट गई है, जिस पर गौर नहीं किया गया. वह है अपॉर्चुनिटी कॉस्ट और टाइम वैल्यू ऑफ मनी.
ये उदाहरण खोल देगा आपकी आंखें
मान लीजिए आपने एक फ्लैट 2 करोड़ रुपये में खरीदा. उसे 4 साल तक रखा और बेचने का मन बनाया. वह फ्लैट उसी समय 2 करोड़ 70 लाख रुपये का बिक सकता था, मगर आपने नहीं बेचा, क्योंकि आप उसे 3 करोड़ में बेचना चाहते थे. आपने कुछ समय इंतजार करना बेहतर समझा. इंतजार करते-करते 4 साल और निकल गए. अब कुल 8 साल बाद आपको 3 करोड़ 10 लाख का भाव मिला और आप उसे बेचकर निकल गए. यदि आपको लग रहा है कि फ्लैट पर पूरा 1.10 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ है तो थोड़ा रुकिए.
इसे अच्छे से कैलकुलेट करके देखते हैं. आपने 30 लाख रुपये के लिए 4 साल का इंतजार किया. यदि आप 2.70 करोड़ रुपये में चार साल पहले बेच देते और उस पैसे को किसी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते तो कितना पैसा मिलता? ICICI बैंक इतने पैसे पर 7 फीसदी का ब्याज देता है. इतने पैसे को 4 साल तक FD में रखा जाता तो आपको कुल 3,56,38,092 (3 करोड़ 56 लाख) रुपये मिलते. चार साल के लिए 86 लाख रुपये से कुछ अधिक ब्याज जुड़ जाता. अब यह कैलकुलेशन कहती है कि आपको 46 लाख रुपये का लॉस हुआ है.
यहां FD का उदाहरण इसलिए दिया, क्योंकि वह सबसे सुरक्षित माध्यमों में से एक है. यदि किसी ऊंचे रिटर्न वाले माध्यम में वही पैसा निवेश होता हो यह काफी अधिक हो सकता था.
टाइम वैल्यू ऑफ मनी
कई बार निवेशक समय के साथ पैसे की घटती पारव को नजरअंदाज कर देते हैं. मुद्रास्फीति के कारण पैसे की क्रय शक्ति समय के साथ घटती है. इसकी वजह से उसने 4 वर्षों में 40 लाख रुपये अतिरिक्त पाकर भी नुकसान झेला है.
यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि रियल एस्टेट में असली नुकसान भी हो सकता है. मान लें कि आपने दिल्ली-एनसीआर के एक बिल्डर से एक करोड़ में एक अपार्टमेंट खरीद. 6 साल तक उसके प्राइस में बढ़ोतरी नहीं हुई और आपने बाद में उसे 90 लाख रुपये में बेच दिया. यहां आपको लग रहा होगा कि चलिए 10 लाख ही तो नुकसान हुआ, मगर इन्फ्लेशन के हिसाब से देखेंगे तो यह नुकसान काफी बड़ा होगा.
निवेश में बैलेंस बनाकर रखें
निवेश करते समय विविधता का ध्यान रखना चाहिए. रियल एस्टेट, इक्विटी, डेट (Debt) और गोल्ड जैसे अलग-अलग वर्गों में विभाजित करना चाहिए. अगर आप सिर्फ एक ही एसेट में निवेश करते हैं, तो नुकसान का खतरा बढ़ जाता है. हर एसेट में मूल्य सुधार या समय सुधार की संभावना होती है. इन अवधारणाओं को समझकर आप बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 06:32 IST