Blog

Detail Review: ‘Footfairy’ का सस्पेंस इस पूरी फिल्म का इकलौता सस्पेंस है – detail review suspense of footfairy is the only suspense in this movie entpon entpks


‘Footfairy’ Detail Review: कभी-कभी लगता है कि नेटफ्लिक्स को भारत में जो वांछित सफलता नहीं मिली है वो सही है, क्योंकि भारतीय कॉन्टेंट के मामले में उनके द्वारा चयनित फिल्में और नेटफ्लिक्स द्वारा प्रोड्यूस्ड फिल्मों और वेब सीरीज का भारतीय जनमानस से बिलकुल ही कटा होना, उनकी कम लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह है. नेटफ्लिक्स पर जो भारतीय कॉन्टेंट देखने को मिलता है, वो एकदम ही स्तरहीन सा लगता है. नेटफ्लिक्स पर अजीबोगरीब सी फिल्मों में एक नया नाम शामिल हो गया है साल 2020 में बनी फिल्म ‘फुटफेरी’ का. कहने को ये एक मर्डर मिस्ट्री है, जिसमें एक सीरियल किलर है जो रेल की पटरियों पर अकेली लड़की को उसका दम घोंटकर (उसके मुंह पर पॉलीथिन बैग डाल कर) उन्हें मार देता है और किसी तेज धार वाले हथियार से उनके दोनों पैर यानी फुट काट कर ले जाता है.

लाश को बड़े से सूटकेस में भरकर उन्हीं पटरियों के आसपास फेंक देता है. पुलिस और सीबीआई भरसक प्रयास कर के भी असली कातिल तक नहीं पहुंच पाती है. कहानी पहली नज़र में तो ठीक लगती है, लेकिन जब आप इस पर बनी फिल्म देखते हैं तो इसे बड़ी ही अधूरी सी फिल्म पाते हैं, क्योंकि इसमें जो ड्रामा है वो बड़ा ही सूखा-सूखा सा है. नेटफ्लिक्स पर फुटफेरी सिर्फ तभी देखिये जब आपको एक ऐसी फिल्म देखने का मन हो जो आपको कन्फ्यूज़ कर दे. निर्देशक कनिष्क वर्मा का नाम हाल ही में डिज्नी+ हॉटस्टार की ताज़ा तरीन वेब सीरीज “शूरवीर” के निर्देशक के तौर पर सामने आया था. इसके पहले कनिष्क, सनक नाम की एक और फिल्म निर्देशित कर चुके हैं जिसमें विद्युत् जामवाल थे. ये फिल्म “फुटफेरी”, कनिष्क की पहली फिल्म है. 2020 में इसे सिनेमाघरों के बजाये सीधे टेलीविज़न पर उतारा गया था, और फिर 2022 में इसका मराठी डब भी रिलीज़ किया गया, और अब ये दोनों भाषाओं में नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है.

फिल्म की कहानी एक सीरियल किलर की है. रात के अंधेरे के रेलवे ट्रैक पर चलती अकेली लड़की को देख कर ये सीरियल किलर उसका मुंह एक मज़बूत प्लास्टिक बैग में बंद कर देता है. लड़की की सांस घुट जाती है और वो मर जाती है. हत्यारा लड़की के शरीर को एक सुनसान जगह ले जाता है, एक तेज़ धार आरी से उसके पैर काट देता है और उसके शरीर को एक लाल सूटकेस में बंद कर के पटरियों के किनारे फेंक देता है. इंस्पेक्टर विवान देशमुख (गुलशन देवैया) इस केस की छानबीन करने लगता है. कई तरह के सूत्र मिलते हैं और हर बार किसी शख्स को गिरफ्तार किया जाता है वो खूनी नहीं निकलता और इसी बीच एक खून और हो जाता है. विवान हताश तो होता है मगर कोशिश जारी रखता है.

बड़ी मुश्किल से एक सबूत मिलता है कि जिस जिस लड़की की लाश मिली है वे सभी मौत से पहले एक ही रेस्टोरेंट से लौट रही होती हैं. छानबीन करने पर रेस्टोरेंट के मालिक जोशुआ (कुणाल रॉय कपूर) पर शक जाता है. अचानक एक चश्मदीद गवाह मिल जाता है जो जोशुआ के चित्र को पहचान कर उसे ही “फुटफेरी” घोषित करता है. जोशुआ गिरफ्तार होता है, लेकिन छूट जाता है क्योंकि कोई मज़बूत सबूत नहीं मिलता. इस दौरान विवान की पड़ोस में रहने वाली एक छोटी लड़की का खून हो जाता है और विवान गुस्से में आकर जोशुआ की हड्डी पसली एक कर देता है. जोशुआ के खिलाफ तब भी कोई सबूत नहीं मिलता. जोशुआ पुलिस पर केस कर देता है और विवान को नौकरी छोड़नी पड़ती है और वो मुंबई से किसी और शहर चला जाता है. कई सालों बाद विवान फिर मुंबई आता है और बस ऐसे ही वो फिर से रेलवे ट्रैक पर चल देता है जहां उसे एक बच्चा मिलता है जो कहता है कि थोड़ी देर पहले किसी और ने भी उस बच्चे को रोका था और पूछा था कि उस बच्चे को कुछ मिला क्या. विवान को लगता है की हो न हो “फुटफेरी” की रहा होगा. विवान उसके पीछे चल पड़ता है. फिल्म ख़त्म हो जाती है.

फिल्म में कई अच्छी बातें हैं और कुछ अनुत्तरित सवाल भी. अच्छी बातों में है गुलशन देवैया का अभिनय. हालांकि उनकी आवाज़ ज़रूर उनके किरदार से मेल नहीं खाती और उन्हें पुलिस अधिकारी बनने की थोड़ी और तयारी करनी चाहिए थे, फिर भी गुलशन का चेहरा और उनकी बड़ी-बड़ी आखें, किसी भी अपराधी को घूरने मात्र से ही अपराध क़ुबूल करने पर मजबूर कर देती है. गुलशन के अलावा उनकी प्रेमिका के रूप में सागरिका घाटगे का भी किरदार अच्छे से रचा गया है.

दो प्रोफेशनल लोगों को उनके मित्र ही मिलवा कर उनकी दोस्ती करा सकते हैं. मुंबई की इस बारीक सी बात को फिल्म में अच्छे से दिखाया गया है. सागरिका और गुलशन की दोस्ती बढ़ती भी बड़े ही अच्छे अंदाज़ में है, बिना फालतू के रोमांस के. दोनों के बीच की बातचीत भी बड़ी ही सुलझी हुई, हलकी फुल्की और क्यूट है. कुणाल रॉय कपूर का किरदार सबसे बढ़िया है. जब से उसकी एंट्री होती है, हर सबूत यही इशारा करता है कि खून के पीछे उसी का हाथ है लेकिन कभी भी साबित नहीं हो पता. दर्शकों को भी लगता है कि वही खूनी होगा मगर ऐसा नहीं होता. दर्शक ठगा हुआ महसूस नहीं करते लेकिन हताश ज़रूर होते हैं गुलशन की तरह.

अनुत्तरित सवालों में विवान और उसके साथी हमेशा “फुटफेरी” के बारे में ही सोचते रहते हैं जैसे उनके पास कोई और केस अभी आएगा ही नहीं. पुलिस की नौकरी ऐसी भी होती है? जब जब “फुटफेरी” का कोई सीसीटीवी फुटेज मिलता है तो वो कभी भी कुणाल रॉय कपूर की कद काठी का नहीं लगता बल्कि विवान की कदकाठी का लगता है. एक नए नज़रिये से देखा जाये तो विवान यानी गुलशन खूनी हो सकता है. उसके पास हर खून करने के लिए पर्याप्त समय है. जब वो नौकरी छोड़ कर मुंबई से दूसरे शहर चला जाता है, उतने समय तक कोई हत्या नहीं होती. हालांकि क्लाइमेक्स में बच्चे के साथ उसकी बातचीत इस थ्योरी से उलटी साबित होती है.

कुणाल रॉय कपूर पुलिस को ये बताता है कि उसे लड़कियों के सुन्दर पैर देखने का शौक़ है लेकिन वो हत्यारा नहीं है. गुलशन कभी भी ये नहीं सोचता था कि प्लानिंग कुणाल की हो सकती है लेकिन हत्या उसके किसी साथी ने की हो. कुणाल हत्यारा इसलिए भी नहीं हो सकता क्योंकि सीरियल किलर के मन में कोई कुंठा होती है जिसके बारे में वो किसी को बताता नहीं है जबकि कुणाल लड़कियों के पैरों के पति अपने आकर्षण को स्वीकार करता है.

जो लोग मर्डर मिस्ट्री या सीरियल किलर की स्टोरी वाली किताबें पढ़ते आये हैं या फिल्में देखते आये हैं उन्हें बताना नहीं पड़ता कि हत्यारा कौन हो सकता है. गुलशन और कुणाल तो शक के घेरे से बाहर हैं लेकिन गुलशन का एक साथी इन हत्याओं के पीछे हो सकता है. वो कौनसा साथी है, ये जानना है तो “फुटफेरी” देखिये. 2019 की सुप्रसिद्ध ऑस्कर अवॉर्ड विजेता फिल्म “पैरासाइट” के निर्देशक बोंग जून-हो ने 2003 में सत्य घटनाओं से प्रेरित होकर एक फिल्म निर्देशित की थी – मेमोरीज ऑफ़ मर्डर. निर्देशक कनिष्क वर्मा ने इसी फिल्म से प्रेरित होकर “फुटफेरी” बनायी हैं और कातिल कौन की पहेली को दर्शकों के लिए अनुत्तरित छोड़ दिया है. “फुटफेरी” देखने जैसी है लेकिन हमें कातिल पकड़े जाने की आदत है. यहां ऐसा कुछ नहीं होता.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

जीत गांगुली/5

Tags: Film review



Source link

Shares:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *