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Hustle Review: एक और स्पोर्ट्स फिल्म, लेकिन देखने में मजा आएगा – hustle review another sports flick but is fun to watch ss


अमेरिका में किसी भी खेल के क्लब में टैलेंट स्पॉटर होते हैं, जिनका काम देश विदेश घूमना और उस खेल के लिए चैंपियन टैलेंट को खोजना होता है. ये टैलेंट स्पॉटर अक्सर भूतपूर्व खिलाड़ी होते हैं, जिन्हें खेल की बढ़िया समझ होती है और वे असाधारण खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान लेते हैं. टैलेंट स्पॉटर कोशिश करते हैं कि इन खिलाडियों को कम उम्र में ही पहचान लिया जाए, ताकि उन्हें साइन कर के क्लब में शामिल किया जाए फिर उनके खेल को तराशा जाए और उन्हें टीम में जगह दी जाए. अपनी असाधारण प्रतिभा की वजह से ये खिलाड़ी, सही प्रशिक्षण, अच्छा खाना पीना और सही देखभाल में अपना गेम बेहतर करते जाते हैं और जल्द ही सफलता हासिल कर लेते हैं. भारत में टैलेंट स्पॉटर की जरुरत तो है लेकिन उनकी कोई विशेष इज़्जत नहीं होती. अमेरिका में बास्केटबॉल लोकप्रिय है और उस पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं. स्पेस जैम, द बास्केटबॉल डायरीज, फाइंडिंग फॉरेस्टर, ग्लोरी रोड और कोच कार्टर तो काफी सफल भी हुई हैं. इस कड़ी में हाल ही में एक साधारण सी फिल्म हसल, नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गयी. फिल्म की कहानी पारम्परिक स्पोर्ट्स फिल्म जैसी है, लेकिन इसे देखने में बड़ा मज़ा आता है क्योंकि अधिकांश कलाकारों से दर्शकों का एक तार जुड़ जाता है.

एडम सैंडलर ने पहले द वाटरबॉय, द लॉन्गेस्ट यार्ड, अनकट जेम्स जैसी कई स्पोर्ट्स फिल्मों में काम किया है और हर बार उनका रोल पसंद किया गया है. इस बार हसल में भी उनक रोल बहुत अच्छे तरीके से लिखा गया है. फिल्म में एडम एक पूर्व बास्केटबॉल खिलाडी स्टैनले शुगरमैन बने हैं जो कि एक एक्सीडेंट की वजह से बास्केटबॉल नहीं खेल पाते, इसलिए घर चलाने के लिए वो टैलेंट स्पॉटिंग एजेंट बन जाते हैं नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन के एक प्रमुख क्लब फिलाडेल्फिया 76 में. क्लब के मालिक रेक्स मेरिक (रोबर्ट डूवाल) के गुजर जाने के बाद उनके बेटे विन्स मेरिक (बेन फोस्टर) को स्टैनले का काम कुछ खास पसंद नहीं है. स्टैनले, क्लब के लिए नए खिलाड़ी तलाशने के लिए दरबदर भटकता है और स्पेन जा पहुंचता है जहां उसे एक अनजान खिलाडी बो क्रूज (जुआनचो) का खेल पसंद आता है. क्लब के लिए उसे साइन करने के लिए अपने साथ, स्टैनले फिलाडेल्फिया ले आता है. विन्स को बो क्रूज़ का खेल पसंद नहीं आता. स्टैनले इसे अपनी बेइज़्जती समझता है, फिलाडेल्फिया क्लब की नौकरी छोड़ कर बो को एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलवाता है. काफी मुश्किलों से गुजरने के बाद भी बो को कोई मौका नहीं मिलता क्योंकि बो अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाता है. बो का परिवार अमेरिका से स्पेन लौट जाते हैं, बो जैसे ही फ्लाइट में बैठने के लिए निकलता है. स्टैनले को उसका दोस्त बो को लेकर आने के लिए कहता है. स्टैनले और बो मुश्किल से बास्केटबॉल कोर्ट पहुंचते हैं, जहां एक बार फिर बो अपनी कला और प्रतिभा का प्रदर्शन कर के चयनकर्ताओं का मन मोह लेता है.

हसल में करीब करीब 10 मिनट लम्बा एक दृश्य है, जिसमें बो को प्रोफेशनल बास्केटबॉल प्लेयर बनाने के लिए स्टैनले उसे ट्रेनिंग देता है. पूरी फिल्म की जान यह सीन है. बो क्रूज़ ने इस ट्रेनिंग वाले वीडियो में लाजवाब अभिनय किया है. बो जब अमेरिका आता है तो होटल के खाने और पोर्नोग्राफी देखने के अलावा कुछ नहीं करता. अपने खेल के लिए वो सिर्फ अपने टैलेंट पर भरोसा करता है लेकिन स्टैनले एक प्रोफेशनल प्लेयर रह चूका है, उसे पता है कि टैलेंट अकेला काफी नहीं है. वो बो से पूरी मेहनत करवाता है, उसका स्टैमिना बढ़वाने वाली एक्सरसाइज करवाता है, ट्रिक प्ले सिखाता है, बेहतरीन खिलाडियों के साथ प्रैक्टिस करवाता है. सिर्फ इस 10 मिनट के दृश्य ने साफ कर दिया कि प्रतिभा का अपना महत्त्व है तो अनुशासन का अपना और जब तक दोनों का संतुलन स्थापित न हो जाये, कुछ हो नहीं सकता. एडम सैंडलर का काम बहुत अच्छा है. कुछ भावनात्मक दृश्यों में वो अपनी आंखों से अभिनय कर जाते हैं. उनकी पत्नी के रोल में क्वीन लतिफाह भी बहुत प्यारी लगी हैं. उन्हें अपने पति की बास्केटबॉल के प्रति दीवानगी का पूरा अनुमान है लेकिन वो व्यावहारिक भी हैं इसलिए घर चलाने की ज़िम्मेदारी खुद पर ले लेती हैं. समर्पण होते हुए भी प्रेम का समर्पण कभी भी दृश्यों को अति-भावनात्मक नहीं होने देता. जुआनचो ने भी एडम के साथ कदम से कदम मिला कर अभिनय किया है. 6 फुट 9 इंच लम्बे इस अभिनेता ने सहजता को अपना हथियार बनाया है. वो खुद बास्केटबॉल बहुत अच्छा खेलते हैं लेकिन इस फिल्म में उन्होंने अपने खेल को निखारते हुए दिखाने का साहस किया है. रॉबर्ट डूवाल को बहुत दिनों के बाद देखा. 91 साल की उम्र में भी रॉबर्ट का व्यक्तित्व और रोल में उनका अभिनय दर्शकों को प्रभावित करता ही है.

फिल्म की पटकथा विल फैटर्स और टायलर मैटर्न ने लिखी है. विल ने इसके पहले ‘अ स्टार इस बॉर्न’ जैसी खूबसूरत फिल्में भी लिखी हैं जब की टायलर की यह पहली फिल्म है. जैसा की हर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म में होता है, सब कुछ तय होता है, कहानी का अंत भी तय होता है और कई बार तो सीन भी एक दूसरे नई नकल ही लगते हैं, ऐसी परिस्थिति में बोरियत से आपको सिर्फ बेहतरीन लेखनी ही बचा सकती है. हसल में भी यही हुआ है. फिल्म के प्रोड्यूसर इंटरनेशनल बास्केटबॉल स्टार लेब्रॉन जेम्स की वजह से कई बास्केटबॉल प्लेयर्स ने फिल्म में काम किया ताकि सीन्स में असलियत नज़र आ सके. फिल्म को पूरी तरह मनोरंजन के नजरिये से देखी जानी चाहिए. अंग्रेजी फिल्मों में गालियां फ्री में आती हैं लेकिन इनके बगैर अगर फिल्म बनायीं जाए तो पूरा परिवार साथ बैठ कर देख सकता है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review



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