(विमल कुमार, कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम से)
अगर कानपुर टेस्ट के चौथे दिन की सुबह किसी ने स्थानीय दर्शकों को ये कहा होता कि टीम इंडिया अब भी इस टेस्ट मैच को जीतने की प्रबल दावेदार है तो शायद किसी को भी यकीन नहीं होता. लेकिन, ऐसा लगा कि मानो रोहित शर्मा और उनके साथियों ने ये जिद ठान ली कि भले ही स्टेडियम विश्व स्तरीय नहीं हो, भले ही आयोजकों की लापरवाही के चलते 2 दिन से ज़्यादा वक्त की क्रिकेट का नुकसान हुआ हो लेकिन उस हर बात की भरपाई वो अपने शानदार खेल से करेंगे. कानपुर के दर्शकों की उम्मीदों को पूरा करते हुए टीम इंडिया ने क्या फील्डिंग, क्या गेंदबाजी और क्या बल्लेबाजी, इन तीनों क्षेत्रों में ऐसा मनमोहक खेल दिखाया जिससे ये कहना शायद गलत नहीं होगा कि भारतीय जमीं पर टेस्ट क्रिकेट में भारत का ये सर्वोत्तम दिनों में से एक रहा.
पिछले तीन दिन में ये लेखक कानपुर के हजारों दर्शकों से मिल चुके और हर किसी को दिल में यही आस थी कि भले ही टीम इंडिया खेल नहीं पा रही हो लेकिन उन्हें कम से कम मैदान में आकर दर्शकों को अपनी झलकियां जरूर दिखानी चाहिए. शनिवार और रविवार को पूरे दिन एक चौथाई स्टेडियम इस उम्मीद में भरा रहा और लगातार उत्साहपूर्वक शोर मचाता रहा कि मैच किसी भी तरह शुरू हो जाए. कोई वाराणसी से आया था तो कोई मिर्ज़ापुर. यहां तक कि बिहार की राजधानी पटना से भी आने वाले दर्शकों की संख्या कम नहीं थी. लेकिन, उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के उदासीन अधिकारियों को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. जिस स्टेडियम की बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर पूरी दुनिया में बीसीसीआई के रुतबे का मजाक बन रहा था, वहीं स्थानीय क्रिकेट संघ के सर्वेसर्वा राजीव शुक्ला ये कहकर पूरे मामले को टाल गए कि आज तक कभी भी इस मैदान पर कोई भी मैच रद्द नहीं हुआ.
हर हाल में जीत चाहती है टीम इंडिया
बहरहाल, तारीफ करनी होगी स्थानीय दर्शकों के उत्साह और जज्बे की जिन्होंने तमाम नकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज करते हुए टीम स्टेडियम का रुख लगातार चौथे दिन भी किया और उन्हें एक दिन के खेल में ही पूरे पैसे मानो वसूल हो गए. टीम इंडिया किसी भी हालत में ये नहीं चाहती है कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में फाइनल खेलने के लिए उन्हें आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे के टेस्ट मैचों के नतीजों पर निर्भर रहना पड़े. इसलिये हर हाल में टीम की हसरत है कि पहले बांग्लादेश और इसके बाद न्यूजीलैंड को हर मैच में पस्त किया जाए.
टी20 नहीं, टी10 के अंदाज में खेले रोहित
टीम इंडिया के बेहद आक्रामक रवैये का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि कप्तान और उनके साथी ओपनर यशस्वी जायसवाल ने टेस्ट क्रिकेट में वनडे या टी20 नहीं बल्कि टी10 वाले रनरेट से बल्लेबाजी की शुरुआत की. आखिर, टी20 मैचों के दौरान या फिर बल्लेबाजों के लिए मददगार पिच पर आईपीएल के दौरान भी आपको 14.34 का रन रेट वाला आंकड़ा देखने को नहीं मिलता है. महज 23 गेंदों पर अर्धशतकीय साझेदारी करने वाली इस जोड़ी ने ऐसा रन रेट रखा जिससे मेहमान टीम के गेंदबाज पूरी तरह से भौंचक्के रह गए. रोहित शर्मा ने हाल के सालों में कप्तान के तौर पर टीम को अपनी बल्लेबाजी का दर्शन साफ कर दिया है. निजी रिकॉर्ड नहीं बल्कि टीम के लिए योगदान ही मायने रखते हैं. उनकी 11 गेंदों पर 23 रन की पारी को भुलाना आसान नहीं होगा क्योंकि टेस्ट मैच में पहली दो गेंदों पर दो छक्के लगाने का कमाल उनसे पहले इतिहास में सिर्फ तीन बल्लेबाज ही दिखा पाए थे. जिसमें से एक का नाम सचिन तेंदुलकर भी था. रोहित जिस रफ्तार से छक्के टेस्ट क्रिकेट में लगा रहें हैं, वीरेंद्र सहवाग का भारत की तरफ से सबसे ज़्यादा छक्के लगाने का रिकॉर्ड भी अब सिर्फ कुछ हफ्तों का ही मेहमान दिख रहा है.
रोहित से भी दमदार खेल यशस्वी और राहुल का
रोहित से भी ज्यादा दमदार पारियां खेली उनके युवा साथी जायसवाल और मिडिल ऑर्डर में केएल राहुल ने. जायसवाल ने तो पहले ही ओवर में तीन लगातार चौके लगाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए और 141.17 का उनका स्ट्राइक रेट किसी तरह से चौंकाने वाला नहीं रहा. लेकिन, ये किसने सोचा था कि उनके आउट होने के बाद मिडिल ऑर्डर में राहुल उनसे भी ज़्यादा रफ्तार से बल्लेबाजी कर सकते हैं. राहुल ने भी भारतीय पारी का दूसरा अर्धशतक लगाया लेकिन उनका करीब 160 (158.13) का स्ट्राइक रेट ये साबित करने के लिए काफी था कि ये टीम जब चाहे, मौके और हालात के हिसाब से गियर बदलकर खेल सकती है. और दिन का खेल खत्म होने के बाद टीम के गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्केल ने यही बात कबूली.
जडेजा ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
बहरहाल, बल्लेबाजों और गेंदबाजों के सामूहिक शानदार खेल के बीच सोमवार का दिन टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के लिए भी बेहद यादगार रहा. ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि नंवबर के महीने में पर्थ की फ्लाइट लेने से पहले जडेजा 311 टेस्ट विकेट का आंकड़ा पार कर लेंगे. अब आप ये सोच रहें होंगे कि जिस दिन जडेजा ने अपने 300 विकेट पूरे किये उस दिन हम 311 की बात क्यों कर रहे हैं? दरअसल, बहुत कम लोगों को शायद ये पता हो कि टीम इंडिया के इतिहास में दो बेहद कामयाब गेंदबाज जहीर खान और इशांत शर्मा के टेस्ट क्रिकेट में 311-311 विकेट हैं. अगर जडेजा न्यूजीलैंड सीरीज खत्म होने तक 312 तक पहुंचने में कामयाब होते हैं तो वो भारतीय इतिहास के सर्वकालीन 5 सबसे कामयाब गेंदबाज़ों में शुमार हो जाएंगे. जिस तरह अनिल कुंबले की महानता का एहसास उनके मुल्क को थोड़े देर से हुआ ठीक वैसा ही रविचंद्रन अश्विन के साथ भी हुआ. लेकिन, अश्विन की छाप में कई बार जडेजा जैसे दमदार गेंदबाज को वो चर्चा नहीं मिलती है जिसके वो सही मायने में हकदार हैं. अब सोचिये कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सिर्फ इंग्लैंड के पूर्व कप्तान इयान बॉथम ने ही उनसे 2 मैच कम खेल कर 3000 टेस्ट रन और 300 विकेट के ‘डबल्स’ का रिकॉर्ड पूरा किया है. ये कमाल टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ 11 खिलाड़ियों ने ही हासिल किया है और भारत के लिए 300 से ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वालों में से 35 साल के इस खिलाड़ी का औसत (24.00) और स्ट्राइक रेट (58.0) का रहा है. अब तक पूरे मैच में अश्विन, बुमराह, आकाशदीप और सिराज ने मिलकर समां बांधा है. अब उम्मीद की जा सकती है कि मैच के आखिरी दिन पहले या फिर दूसरे सत्र में जडेजा गेंद से सबसे बडे हीरो बनकर उभरेंगे?
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FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 21:11 IST