Rocketary Movie Review in Hindi: हिंदुस्तान में फिल्मों को देखना का एक अलग ही चस्का है और शायद यही वजह है कि हर शुक्रवार कई फिल्में दर्शकों के बीच रिलीज होती हैं. हम सालों से इन रिलीज होती फिल्मों को देखते आ रहे हैं, लेकिन ऐसा मौका कम ही होता है, जब पर्दे पर उतर रही कहानी आपकी आंखों से होती हुई आपके दिल तक उतर जाए. जब फिल्म देखने के बाद आपको लगे कि ‘भई वाह, मजा आ गया… ‘ या जब थिएटर के अंधेरे में चुपचाप बार-बार आप अपने आंसू पोंछे इस डर से कि कहीं कोई आपको रोता न देख ले. ऐसा ही एक मौका है फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफैक्ट’ की स्क्रीनिंग का, जब आप ये सब भावनाएं महसूस कर सकते हैं.
‘रॉकेट्री: द नंबी इफैक्ट’ इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन की कहानी है. नंबी नारायण वही वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने लिक्विड फ्यूल रॉकेटरी में तब काम शुरू कर दिया, जब देशके वैज्ञानिक सॉलिड्स पर काम करने में लगे थे. नंबी अपने समय से आगे के वैज्ञानिक थे, ऐसे वैज्ञानिक जिन्होंने NASA से मिला लाखों की तनख्वाह वाला चैक और ऑफर सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें अपने देश के इसरो में काम करना था. नंबी वो वैज्ञानिक थे जो 400 मिलियन पाउंड के इक्युपमेंट मुफ्त में देश में लेकर आए थे. लेकिन इन्हीं नंबी को देशद्रोह के आरोप में फंसा कर 60 दिनों तक जेल में रखा गया, इनके परिवार को सालों तक अपमान झेलना पड़ा. एक असमान्य प्रतिभा के धनी वैज्ञानिक के साथ हुए इस अपमान और अमानवीयती की कहानी को निर्देशक आर माधवन ने खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है.
माधवन के मजबूत कंधोंं पर है दारोमदार
इस फिल्म की कहानी लिखने से लेकर इसे पर्दे पर उतारने और पर्दे के सामाने नंबी नारायण के अभिनय को जिंदा करने तक, सारी जिम्मेदारियां खुद आर. माधवन ने अपने कंधे पर उठाई हैं. अभिनय के मामले में माधवन के जीवन की सबसे शानदार फिल्मों में रॉकेट्री का नाम हमेशा सबसे ऊपर लिया जाएगा. वैज्ञानिक नारायण की जवानी से लेकर उनके बुढ़ापे तक को उन्हें शानदार तरीके से पर्दे पर उतारा है. सिर्फ माधवन ही नहीं, उनके साथ पर्दे पर नजर आ रहे सभी कलाकार किरदार बनकर नजर आए हैं. एक तरफ जहां आप माधवन को प्यार करेंगे वहीं एक सीन में उनके काम के प्रति पागलपन पर आपको नफरत भी होगी.
माधवन की पत्नी के रोल में नजर आई हैं, एक्ट्रेस सिमरन.
अंग्रेजी हालांकि इस फिल्म के शुरुआती हिस्से में रॉकेट साइंस के बारे में काफी गहराई से बातें की गई हैं जो हो सकता है दर्शकों को थोड़ी बोझिल लगे. एक दूसरी दिक्कत जो मुझे लगी वह है इसके एक बड़े हिस्से का अंग्रेजी में होना. हिंदी में रिलीज होने के बाद भी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी का पूरा सीक्वेंस और काफी सारा हिस्सा अंग्रेजी में ही है और ऑडियंस को सब टाइटल के भरोसे बैठना होगा. हालांकि दूसरा पहलू ये भी है कि इससे कहानी में प्रमाणिकता आती है. लोगों को समझाने के लिए सिर्फ विदेश में भी हिंदी बोलने वाले किरदार इस फिल्म में क्रिएट नहीं किए गए हैं. यही एक बड़ी वजह लगती है मुझे कि ये फिल्म हिंदी-पट्टी के एक बड़े तबके तक न पहुंच पाए.
दरअसल अक्सर ‘देशभक्ति’ या ‘देशप्रेम’ की बात आते ही हमें अक्सर पुलिसवालों या देश की सरहद पर लड़ने वाले सैनिकों की कहानी ही पर्दे पर दिखाई जाती हैं. लेकिन इस फिल्म के साथ आपको ये भी एहसास होगा कि ‘देशप्रेम’ दिखाने के लिए आपको सिर्फ सरहदों पर रहने की जरूरत नहीं है. आपने काम को पूरी इमानदारी से करते हुए अपने देश के लिए काम करने वाला व्यक्ति भी उतना ही बड़ा देशभक्त है. इसरो के इस स्पेशल वैज्ञानिक, जिसे कलाम भी नहीं समझ पाते, उन्हें जिस बर्बरता से पुलिस कस्टडी में मारा जाता है, वह रोंगटे खड़ा कर देने वाला है. इस फिल्म के कुछ सीन्स ऐसे हैं जो आपके भीतर सिरहन भर देंगे.
फिल्म की बात करते हुए शाहरुख खान का जिक्र किए जाना भी जरूरी है, जो इस पूरी कहानी को दिखाने वाले सूत्रधार के रूप में नजर आए हैं. शाहरुख अपने इस कैमियो में भी असर छोड़ते हैं. मुझे लगता है किसी सिनेमा की सबसे बड़ी सफलता है जब थिएटर्स में बैठकर देखी जा रही फिल्म आपके साथ निकलकर आपके घर तक जाए. लेकिन इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायण की कहानी को बेहद खूबसूरती से पर्दे पर उतारती निर्देशक आर. माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफैक्ट’ सिर्फ घर तक नहीं बल्कि आपने सपनों तक भी आपके साथ जा सकती है. मुझे लगता है ‘रॉकेट्री: द नंबी इफैक्ट’ एक ऐसी कहानी है जिसे स्कूलों में, कॉलेजों में और हर जगह लोगों को दिखाया जाना चाहिए, ताकि लोग ये तय कर सकें कि उन्हें अपने हीरो कैसे चुनने चाहिए. मेरी तरह से इस कहानी को 4 स्टार.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
Tags: R Madhavan
FIRST PUBLISHED : July 1, 2022, 12:57 IST